चुनार किला

 

चुनारगढ़ किला भारत कि ऐतिहासिक विरासत है यह एक अनमोल धरोहर है। चुनारगढ़ किले का इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है यह किला लगभग 5000 वर्षों के इतिहास का गवाह है । चुनार किला भारत में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के चुनार में स्थित कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है।



जिस पहाड़ी इस किला स्थित है उस पहाड़ी कि प्राकृतिक संरचना मानव चरण के आकार कि है इसलिये इसका एक नाम चरणाद्रिगढ़ भी है। 


 

मिर्जापुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित इस किलें का निर्माण 56 ईसा पूर्व में उज्जैन के तत्कालीन महाराज विक्रमादित्य नें करवाया था । 


 

सन 1924 को मिर्जापुर के तत्कालीन कलक्टर द्वारा दुर्ग पर लगाये एक शिलापत्र विवरण के अनुसार उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के बाद इस किले  को पृथ्वीराज, बाबर, हुमायूं, अकबर समेत आधा दर्जन से अधिक शासकों ने इसे अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। जिसके बाद मुगलों से ईस्ट इण्डिया कंपनी ने यह किला जीता लिया, उसके बाद से इस किले पर अग्रेंजो का कब्ज़ा हो गया । 

गंगा के किनारे बने इस किले की भौगोलिक स्थिति के कारण यह किला हमेशा से ही रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण माना गया|  


 

राजा सहदेव ने 1029 ई में इस किले को अपनी राजधानी बना दिया और विन्ध्य पहाड़ी की गुफा में नैना योगी की प्रतिमा की स्थापना की और नामकरण के रूप में नामकरण किया। राजा सहदेव ने 52 अन्य राजाओं पर विजय की याद में 52 खंभे पर आधारित एक पत्थर का छतरी बनाया, किले के अंदर, जो अभी भी संरक्षित है। इस मण्डप की दीवारें दो मीटर चौड़ी है और जिनमे अंदर ही अंदर जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई है यह सोनवा मण्डप ठीक उस विशाल तहखाने से लगा हुआ है जिनमे बिभिन्न स्थानों को जाने के लिए सुरंगों के होने का अनुमान लगया जाता है  




 

तिलिस्मी उपन्यास चन्द्रकान्ता का केन्द्र बिन्दु भी चुनारगढ़ किला है। बाबू देवकीनन्दन खत्री द्वारा उपन्यास चन्द्रकान्ता की रचना यही की गई थीं । चन्द्रकान्ता उपन्यास कि लोकप्रियता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस उपन्यास पर एक टेलीविजन सीरियल भी बना । सीरियल और उपन्यास में चुनारगढ़ के राजा शिवदत्त सेनापति  क्रूर सिंह, तारा,भूतनाथ आदि का जिक्र है टेलीविजन सीरियल  चन्द्रकान्ता ने लोगों में चुनारगढ़ कि अलग छवि बना दिया । परंतु दोस्तों मैं यहाँ एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हुं चुनारगढ़ किले से चन्द्रकान्ता उपन्यास में वर्णित कहानी, तिलिस्म ,और किरदारों तारा शिवदत्त भूतनाथ आदि का दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है । यह एक काल्पनिक कहानी है । चन्द्रकान्ता केवल एक अच्छे उपन्यासकार की बेहतरीन रचना है ।


 

तो दोस्तो यह थीं चुनार क़िले से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी यदि आपको यह लेख पसंद आय हो तो इसे अधिक से अधिक संझा कर भारत के गौरवशाली इतिहास को आगे प्रेषित करें ।

धन्यवाद ।

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