मिस्र के पिरामिड (गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’)

 


मिस्र के पिरामिड तत्कालीन सम्राट के लिए बनाए गए स्मारक स्थल हैं, जिनमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा जाता था इन शवों को ममी कहा जाता है। उनके शवों के साथ खाद्यान, पेय पदार्थ, वस्त्र, गहनें, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर एवं कभी-कभी तो सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था।

मिस्र में 138 पिरामिड हैं, परन्तु काहिरा के उपनगर गीज़ा में गिजा का ग्रेट पिरामिडही प्राचीन एवम्विश्व विख्यात है। दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है जिसे काल प्रवाह भी खत्म नहीं कर सका।


 

इसका निर्माण मिस्र के प्राचीन सम्राट खुफू और उनकी महारानी के स्मारक के तौर पर .पू. 2280 से .पू. 2260 के बीच हुआ था।


 

यह पिरामिड ४५० फुट ऊंचा है। ४३ सदियों तक यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना रहा। १९वीं सदी में ही इसकी ऊंचाई का कीर्तिमान टूटा। इसका आधार १३ एकड़ में फैला है जो करीब १६ फुटबॉल मैदानों जितना है। यह २५ लाख चूनापत्थरों के खंडों से निर्मित है जिनमें से हर एक का वजन से ३० टनों के बीच है। ग्रेट पिरामिड को इतनी परिशुद्धता से बनाया गया है कि वर्तमान तकनीक ऐसी कृति को दोहरा नहीं सकती।


 

म्रिस के इस महान पिरामिड को लेकर अक्सर सवाल उठाये जाते रहे हैं कि बिना मशीनों के, बिना आधुनिक औजारों के मिस्रवासियों ने कैसे विशाल पाषाणखंडों को ४५० फीट ऊंचे पहुंचाया और इस बृहत परियोजना को महज २३ वर्षों में पूरा किया?

इस प्रश्न के उत्तर में पिरामिड मर्मज्ञ इवान हैडिंगटन ने गणना कर हिसाब लगाया कि यदि ऐसा हुआ तो इसके लिए दर्जनों श्रमिकों को साल के ३६५ दिनों में हर दिन १० घंटे के काम के दौरान हर दूसरे मिनट में एक प्रस्तर खंड को रखना होगा। परंतु क्या ऐसा संभव था, इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि, विशाल श्रमशक्ति के अलावा क्या प्राचीन मिस्रवासियों को सूक्ष्म गणितीय और खगोलीय ज्ञान रहा होगा

गीजा के पिरामिड को इस तरह बनाया गया है कि यह पिरामिड किसी भी तरह के भूकंप को झेल सकता है।

बारहवीं सदी के अंत में अल-मालेक अल-अजीज ओथमैन बेन यूसुफ, सलादीन के बेटे और वारिस ने मेनक्योर के साथ शुरू होने वाले पिरामिडों को ध्वस्त करने का प्रयास किया। पिरामिड को ध्वस्त करने के लिए भर्ती किए गए श्रमिक आठ महीने तक अपनी नौकरी पर रहे, लेकिन वे प्रत्येक दिन केवल एक या दो पत्थर निकाल पाते थे। अन्त मे अल-अजीज ने अपनी ज़िद्द छोड़ दी। परंतु उसके इस कार्य से गीजा के पिरामिड पर एक बड़ा गड्डा बना दिया ।


रोचक तथ्य

  • ग्रेट पिरामिड एक पाषाण-कंप्यूटर जैसा है। यदि इसके किनारों की लंबाई, ऊंचाई और कोणों को नापा जाय तो पृथ्वी से संबंधित भिन्न-भिन्न चीजों की सटीक गणना की जा सकती है।
  • ग्रेट पिरामिड में पत्थरों का प्रयोग इस प्रकार किया गया है कि इसके भीतर का तापमान हमेशा स्थिर और पृथ्वी के औसत तापमान २० डिग्री सेल्सियस के बराबर रहता है। यदि इसके पत्थरों को ३० सेंटीमीटर मोटे टुकड़ों में काट दिया जाए तो इनसे फ्रांस के चारों ओर एक मीटर ऊंची दीवार बन सकती है।
  • पिरामिड में नींव के चारों कोने के पत्थरों में बॉल और सॉकेट बनाये गये हैं ताकि ऊष्मा से होने वाले प्रसार और भूंकप से सुरक्षित रहे।
  • मिस्रवासी पिरामिड का इस्तेमाल वेधशाला, कैलेंडर, सनडायल और सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी की गति तथा प्रकाश के वेग को जानने के लिए करते थे।
  • पिरामिड को गणित की जन्मकुंडली भी कहा जाता है जिससे भविष्य की गणना की जा सकती है।
  • कुछ लोग पिरामिडों में स्थित जादुई असर की बात भी करते हैं जो मानव स्वास्थ्य पर शुभ प्रभाव डालता है।

 

 

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